Wednesday, 1 October 2014

Achudam Keshavam Krishna Damodaram

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम।

कौन कहता हे भगवान आते नहीं,
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।

कौन कहता है भगवान खाते नहीं,
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं।

कौन कहता है भगवान सोते नहीं,
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं।

कौन कहता है भगवान नाचते नहीं,
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।

नाम जपते चलो काम करते चलो,
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो।

याद आएगी उनको कभी ना कभी,
कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी ना कभी।

Sunday, 29 June 2014

Bhajans for Printing

गनपति भजन

गाइये गणपति जगवंदन

गाइये गणपति जगवंदन (२)
शंकर सुवन भवानी नंदन
गाइये गणपति जगवंदन

सिद्धि सदन गजवदन विनायक (२)
कृपा सिन्धु सुन्दर सब लायक
गाइये गणपति जगवंदन

मोदक प्रिय मुद मंगल डाता (२)
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता
गाइये गणपति जगवंदन

मांगत तुलसी दस कर जोरे (२)
बसहूँ राम-सिय मानस मोरे
गाइये गणपति जगवंदन।

श्री गणेशजी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ x2

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी। x2
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा)
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥ x2
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया। x2
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥ x2
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी )
(कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

 दुर्गा भजन 

सिंह पर एक कमल राजित 

सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर भगवते। 

उदित दिनकर लाल छवि निज रूप सुन्दर छाजती। 
सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर भगवते। 

शंख गहि-गहि चक्र गहि-गहि लोक के माँ पालती 
दांत खट -खट  जीह लह-लह शोणित दांत मढ़ावती
सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर भगवते। 

शोणित टप-टप निमत जोगिनी विकट  रूप दिखावटी।
ब्रम्ह अयलनि शिव जी अयलनि मैनति। 
सिंह पर एक कमल राजित ताहि ऊपर भगवते।

जय जयति जय कमले

जय जयति जय कमले (२)
कनक भुधड शिखर वासिनी, चन्द्रिका चय चारु हासिनी
दशन कोटि विकास बंकिमी, तुलित चन्द्र काले (२)
जय जयति जय कमले।

क्रुद्ध सुररिपु बल निपातिनी, महिषा-शुम्भ-निशुम्भ घातिनी
भीत भक्ति भयापा नोदन, पाटलप्रवाले (२)
जय जयति जय कमले।

जय देवी दुर्गे दुरित तारिणी, दुर्गामारी विमर्द कारिणी
भक्ति नम्र सुरासुराधिप मनगलप्रवले (२)
जय जयति जय कमले।

गगन मंडल गर्भ गाहिनी, समरभूमि सुसिंह वाहिनी
परशु पाश कृपान सायक, शंख चक्र धरे (२)
जय जयति जय कमले।

अष्ट भैरवी संग शालिनी, स्वकर-कृति कृपाल मालिनी
दनुज शोणित पिशित वर्धित, पारण राभासे (२)
जय जयति जय कमले।

जगत पालन जन्म मारन, रूप कार्य सहस्त्र कारण
हरी विरंची महेश शेखर, चुम्यमान पड़े (२)
जय जयति जय कमले।

सकल पापकला परिच्युती सुकवि विद्यापति क्रितस्तुति
तोशिते शिवसिंह भूपति, कामना फल दे.
जय जयति जय कमले।

भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरू

भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरू, महाकाली हमर कष्ट जल्दी हरू।
पूजा पाठो ने जानी कोन की करू, चित चंचल सदा ध्यान कोना धरू।

अम्बे-अम्बे त हरदम जपब हम बरू, दिय दर्शन हे माता विपति सब हरू।
भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरू, महाकाली हमर कष्ट जल्दी हरू।

आस माता हमर शीघ्र पूरण करू, महाकाली हमर कष्ट जल्दी हरू।
भद्र काली हमर कष्ट जल्दी हरू, महाकाली हमर कष्ट जल्दी हरू।

जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर

जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर, हे माये अहाँ बिनु आस केकर।

हम जग भरी स ठुकरायल छी, माता के सरन में आयल छी (२)
अछि बीच भवर में नाव हमर हे माये अहाँ बिनु आस केकर।

काली दुर्गा कल्याणी छी, तारा आंबे ब्रम्हाणी छी (२)
करू माफ़ जननी अपराध हमर हे माये अहाँ बिनु आस केकर।

जों माये अहाँ दुःख नैं सुनबइ त जाए कहू केकरा कहबै (२)
अछि पुत्र प्रदीप बनल तुग्गर हे माय अहाँ बिनु आस केकर.

अयि गिरिनन्दिनि

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते
त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते
दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते
शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते
मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते
रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते
निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते
कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते
सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले
अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते १४

 कृष्ण भजन 

 दर्शन दो घन श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे (२)

मंदिर-मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न देखि सूरत तेरी।
जाने कब वो आये मिलन की पूरनमाशी रे।
दर्शन दो घन श्याम ...

द्वार दया के जब तुम खोले पंब्चम सुर में गूंगा बोले।
अंधा देखे लंगडा चल कर पंहुचे काशी रे .
दर्शन दो घन श्याम ...

पानी पीकर प्यास बुझाऊँ, नैनन  को कैसे समझाऊँ।
नरसी की प्रभु विनती सुनले जगातविलासी रे।
दर्शन दो घन श्याम ...
अछि पुत्र प्रदीप बनल तुग्गर हे माय अहाँ बिनु आस केकर.

मदन मोहन सघन वन में मधुर बंसी बजाते हैं 

मदन मोहन सघन वन में मधुर बंसी बजाते हैं (२)
कभी माखन कभी मिसरी कभी दाढ़ियाँ खिलाते हैं।

मदन मोहन सघन वन में मधुर बंसी बजाते हैं
कभी राधा कभी रूक्मिण कभी गोपियाँ रिझाते हैं।

मदन मोहन सघन वन में मधुर बंसी बजाते हैं
कभी तोसक कभी कम्बल, कभी चादर बिछाते हैं।

मदन मोहन सघन वन में मधुर बंसी बजाते हैं।

रुन-झुन बाजे पैजनियाँ

रुन-झुन बाजे पैजनियाँ, मस्त मुरलिया वाले,
दरस दिखा जा, आजा, दरस दिखा जा।

कैद पड़े वासुदेव-देवकी रोते हैं,
पहरे वाले ताला लगाकर सोते हैं सोते हैं
प्रकटे कृष्ण मुरारी जी, मोर मुकुट वाले
दरस दिखा जा आजा ...

कृष्ण को ले वासुदेव गोकुल को जाते हैं, जाते हैं।
यमुनाजी को देख बहुत घबराते हैं घबराते हैं।
जाना कृष्ण मुरारी जी चरण छुआने वाले

दरस दिखा जा आजा ...

कृष्ण को दे यशोदा से कन्या लाते हैं लाते हैं।
कन्या पा वासुदेव बहुत सुख पाते हैं पाते हैं।
जागे सब पहरे वाले, कंस बुलाने वाले 
दरस दिखा जा आजा ...
कंस अधम ने बहन से कन्या छीन लिया छीन लिया।
ज्योंही पटकना चाहा हाथ से छूट गया छूट गया।
नभ से आई वाणी जी, तेरे मारने वाले 
कृष्ण मुरारी जी कृष्ण मुरारि.

सांवलिया मन भायो रे 

सांवलिया मन भायो रे। 

देश भी ढूंढा विदेश भी ढूंढा 
फिर भी न तू मिल पायो रे
सांवलिया मन भायो रे। 

काशी भी ढूंढा प्रयाग भी ढूंढा 
फिर भी न दर्शन पायो रे 
सांवलिया मन भायो रे। 

मीरा के प्रभु और न कोई 
जनम जनम बिसराओ रे 
सांवलिया मन भायो रे।

श्री राम भजन 

जय राम रमारमणं शमनं

जय राम रमा रमणं शमनं, भव ताप भयाकुल पाहि जनम
मही मंडल मंडन चारुतरं धृत सायक चाप निषंग वरं।

मुनि मानस पंकज भृंग भजे, रघुवीर मन रणधीर अजे
तव नाम जपामि नमामि हरी रोग महामद मान अरे।

गुण शील कृपा परमायतनं प्रणमामि निरंतर श्रीरमणं
रघुनंद निकंदय द्वंद्व धनं महिपाल विलोकय दिन जनं।

  

ठुमक चलत रामचन्द्र 

 ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय .
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ..

अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि .
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ..

विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर .
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ..

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद .
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ..

श्री रामचन्द्र कृपालु
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..

कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..

महादेव भजन 

नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय

नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुध्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय।

मंदाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमध नाथ महेश्वराय
मंदार पुष्प बहु पुष्प सुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।

शिवाय गौरी वदनार विंद
सूर्याय दक्ष द्वार नासकाय
श्री नीलकंठाय वृष ध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय।

वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमादि
मुनेन्द्र देवर्चित शेखराय
चंद्रार्क वैश्वनर लोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय

यक्ष स्वरूपाय जटा धराय
पिनाक हस्तथाय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय।

हे हेरब शिव बटिया कतेक दिनमा?

हे हेरब शिव बटिया कतेक दिनमा? (२)

अनलौं जे मृतिका बनलौं महादेव। (२)
शिव संग पुजलहुं (२) गौरी गणेश।

अनलौं जे बेलपत्र सेहो सुखी गेल। (२)
भांग धथुरवा (२) में घुन लागी गेल।

खोजलहुन काशी खोजलहुन प्रयाग। (२)
ओतहि सुनल भोला (२) गेला कैलाश।

सबके त भोला बाबा लिखी पढ़ी देल। (२)
हमरही बेरिया में (२) कलम टूटी गेल।

जं भोला बाबा होएता सहाय। (२)
टुटलो कलंवान सँ (२) लिखता बनाए।

हम नहि आजु रहब एहि आँगन


हम नहि आजु रहब एहि आँगन जँ  बूढ़ होएता जमाय। 

एक त बैरी भेला बीध बिधाता, दोसर धिया केर बाप। 
तेसर बेरी भेला नारद बाभन, जे बुढ  आनल जमाय। 
हम नहि आजु रहब एहि आँगन जँ  बूढ़ होएता जमाय। 

पहिने भाँगक भाजन तोड़ब, दोसर तोड़ब रुण्डमाल, 
बरद  हाँकि बरियाती बैलायब, धिया लय जायब पराय.
हम नहि आजु रहब एहि आँगन जौ बुध जमाई 

धोती लोटा पोथी पतरा, सेहो सब लेबनि छिनाय 
जं किछु बजता नारद बुढ़बे, दाढ़ी धय घिसियाय।
हम नहि आजु रहब एहि आँगन जँ  बूढ़ होएता जमाय। 

पातिल फोड़लें पुरहरी तोड़लनि फुकलेनी चौमुख दीप 
दिया लय मंडप पैसली केओ  जुनी गाबह गीत।

भनहि विद्यापति सुनू हे मनायिनी ईहो थीका त्रिभुवन नाथ। 
धन-धन कय धनि गौरी बियाहू , हर गौरी एक सामान। 
हम नहि आजु रहब एहि आँगन जँ  बूढ़ होएता जमाय।