Saturday, 16 March 2013

Saanwaliya Man Bhaayo Re

सांवलिया सांवलिया मन भायो रे (२)

देश भी ढूंढा विदेश भी ढूंढा (२)
फिर भी ना मिल पायो रे। (२)

काशी भी ढूंढा प्रयाग भी ढूंढा (२)
फिर भी न दर्शन पायो रे। (२)

मीरा के प्रभु और ना कोई (२)
जनम जनम बिसरायो रे। (२)

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