Saturday, 9 March 2013

Darshan Do Ghanshyam

दर्शन दो घन श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे (२)

मंदिर-मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न देखि सूरत तेरी।
जाने कब वो आये मिलन की पूरनमाशी रे।
दर्शन दो घन श्याम ...

द्वार दया के जब तुम खोले पंब्चम सुर में गूंगा बोले।
अंधा देखे लंगडा चल कर पंहुचे काशी रे .
दर्शन दो घन श्याम ...

पानी पीकर प्यास बुझाऊँ, नैनन  को कैसे समझाऊँ।
नरसी की प्रभु विनती सुनले जगातविलासी रे।
दर्शन दो घन श्याम ...

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